देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति अष्टमोऽध्यायः
This Mantra is penned in the form of a dialogue concerning a guru and his disciple. This Mantra is thought being The important thing into a tranquil state of head.
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नामावलि
अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति।।
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति एकादशोऽध्यायः
इश्क के जाल में फंसाकर चल रहा ठगी का खेल, जानें क्या है इससे बचने का तरीका?
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति नवमोऽध्यायः
यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत्।
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।
श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)
चाय वाले को बनाया पिता और टेस्ट ड्राइव के बहाने उड़ाई बाइक, click here आगरा में शातिर चोर का गजब कारनामा बॉलीवुड
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति तृतीयोऽध्यायः
समय का अभाव है तो नवरात्रि के नौ दिनों में सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ कर देवी की उपासना की जा सकती है. इससे पूजा और व्रत का अक्षय पुण्य प्राप्त होगा.
Comments on “Examine This Report on sidh kunjika”